पशुपालक घर बैठे ही एक मिनट में जांच सकेंगे गाय और भैंस गाभिन है या नहीं
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गाय-भैंस गाभिन है या नहीं, इसका पता लगाना अब आसान हो जाएगा। क्योंकि लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के विषय विशेषज्ञ गर्भधारण की पुष्टि करने के लिए एक किट पर शोध कर रहे हैं, शोध का काम अंतिम चरण में हैं। वैज्ञानिकों का मानना है अब गाय-भैंस के गर्भाधान के एक महीने के भीतर ही उनके गाभिन होने का पता चल जाएगा। अब तक पशुपालकों को डॉक्टर्स के पास जाना पड़ता है।
पशुओं में गर्भधारण की पुष्टि को लेकर परेशान रहने वाले किसानों की समस्या अब खत्म होने वाली है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय अब ऐसी किट तैयार करने में जुटा है जिससे मूत्र से पशुओं में भी गर्भधारण का पता मात्र एक मिनट में ही लगाया जा सकेगा। इस कार्य के लिए अब तक ग्रामीण पशु के लक्षणों पशु चिकित्सकों पर ही आश्रित रहते थे। पशुपालक अपने घर पर ही बिना अस्पताल जाए भैंस के गर्भ की जांच कर सकेंगे। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक पिछले दो साल से इस प्रोजेक्ट पर लगे हुए थे।
शेड्यूल बिगड़ जाता है पशुपालकों का
पशुओं में गाभिन की जांच के लिए किसी प्रकार की किट नहीं होने से पशुपालकों का शेड्यूल बिगड़ जाता है। सबसे बड़ी समस्या घर में दूध की उपलब्धता की है। यदि समयानुसार पशु का गर्भधारण नहीं होता है तो इससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एंटीजन से गर्भ होने या नहीं हाेने का पता चलता है उसकी पहचान कर ली है। गर्भधारण जानने की किट आने के बाद पशुपालकों को सहुलियत हो जाएगी।
कई बार झूठे साबित हो जाते थे अनुमान
अब तक पशुपालकों को गाय-भैंस गाभिन है या नहीं इसके लिए पशु चिकित्सालय या डॉक्टरों की मदद का इंतजार करना पड़ता था। परंतु पशु चिकित्सकों की कमी के चलते ग्रामीणों को चिकित्सक का इंतजार करना पड़ता है और उसके लिए उसे पैसा भी खर्च करना पड़ता है। कुछ पशु के लक्षणों को ही देखकर अनुमान लगाते हैं, लेकिन कई बार उनके अनुमान झूठे साबित हो जाते हैं। यह किट ग्रामीणों को इस पूरे झंझट से छुटकारा दिलाएगी और केवल कुछ मिनटों में उन्हें पता चल जाएगा कि पशु गाभिन है या नहीं।
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इस रोग में पाॅलीवेलेंट टीका दिया जाता है। गोवंशीय तथा भैंसवशीय पशुओं में पहला टीका 6 महीने की उम्र में दिया जाता है। इसके बाद हर साल दिया जाता है। टीके की मात्रा 5 मिली प्रति पशु (चमड़ी के नीचे) मानसून के आगमन के पहले देना चाहिए ।
गलघोटू का उपाय
इस रोग में एडजूवेंट टीका देते हैं। गोवंशीय तथा भैंसवंशीय पशुओं मं पहला टीका 6 महीने की उम्र और इसके बाद प्रति वर्ष दिया जाता है। टीके की मात्रा 2 मिली प्रति पशु (चमड़ी के नीचे) मानसून के आगमन के पहले देना चाहिए। भेड़ तथा बकरियों में एक मिली प्रति पशु (चमड़ी के नीचे) दें।
पशुपालकों को डॉक्टर के पास जाने से मिलेगी मुक्ति
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अगले छह-सात महीने में पशुपालकों के पास होगी किट
पशुपालक घर बैठे ही किट के जरिए गाय-भैंस के यूरीन और दूध की जांच कर एक महीने के अंदर यह पता चल जाएगा कि गाय-भैंस प्रेग्नेट है या नहीं। इसके लिए उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होगी। अगले छह-सात महीने में गाभिन जानने की किट तैयार हो जाएगी। -डाॅ.पीके कपूर, निदेशक (को-ऑर्डिनेटर रिसर्च प्लानिंग एंड मॉनीटरिंग) लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय
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