फाइलेरिया (Filariasis या philariasis) / Full Details

फाइलेरिया रोग (हाथी पांव या फील पांव) 

फाइलेरिया (Filariasis या philariasis) / हाथीपाॅव / फाइलेरिएसिस -परजीवी द्वारा होने वाला रोग है जो धागा के समान दिखने वाले 'फाइलेरिओडी' (Filarioidea) नामक निमेटोड के कारण होता है। यह प्रायः संक्रामक उष्णकटिबन्धीय रोग है। फाइलेरिया के आठ प्रकार के नेमाटोड ज्ञात हैं जो मानवों को अपना निशाना बनाते हैं।

फाइलेरिया का लक्षण क्या है?

आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं।

फाइलेरिया में कौन सी दवा दी जाती है?

डाइ-इथाइल कार्वोमिजाइन साइट्रेट (हैटराजन, बनोसाइड) औषधि हाथी पाँव रोग के उपचार के लिए सुरक्षित एवं प्रभावकारी औषधि मानी गई है। यह मच्छरों द्वारा काटने से रक्त में आने पर फाइलेरिया के कीटाणुओं को मार देती है।


फाइलेरिया किसकी कमी से होता है?

फाइलेरिया को हाथी पांव रोग भी कहा जाता है। ये रोग क्यूलेक्स मच्छर काटने की वजह से होता है। इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में जाने से ये रोग होता है। वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देता है, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहा जाता है।

फाइलेरिया कितने दिन में ठीक होता है?

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. एनके पांडेय ने कहा कि अगर दो साल की उम्र पूरी करने के बाद सात साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया की दवा का सेवन किया जाए तो व्यक्ति इस बीमारी से प्रतिरक्षित हो जाता है। मोहित जैसे मरीजों को 12 दिन की फाइलेरिया की दवा दी जाती है। यह दवा छह महीने के बाद देने का नियम है।

फाइलेरिया होने पर क्या करें

फाइलेरिया में विकलांगता प्रबन्धन
  1. अपने पैर को साधारण साबुन व साफ पानी से रोज धोईये।
  2. एक मुलायम और साफ कपड़े से अपने पैर को पोंछिये।
  3. पैर की सफाई करते समय ब्रश का प्रयोग न करें, इसे पैरों पर घाव हो सकते हैं।
  4. जितना हो सके अपने पैर को आरामदायक स्थिति में उठाए रखें।
  5. जितना हो सके व्यायाम करें, कहीं भी, कभी भी।

 


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